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'पाकिस्तान की सेना बैक़फुट पर', ऐसा क्यों कह रहे हैं एक्सपर्ट उदय भास्कर

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Getty Images साल 2022 में राजस्थान में एंटी एयरक्राफ़्ट मिसाइल की क्षमताओं का प्रदर्शन (फ़ाइल फ़ोटो)

भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुआ संघर्ष फ़िलहाल थम गया है, लेकिन संघर्ष के दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे को नुक़सान पहुंचाने को लेकर अलग-अलग दावे किए हैं.

रक्षा विशेषज्ञ सी. उदय भास्कर मानते हैं कि मौजूदा समय में पाकिस्तान की सेना बैकफ़ुट पर है.

पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच एक संघर्ष शुरू हो गया.

इस संघर्ष में कई तरह के हथियारों के इस्तेमाल की चर्चा भी हुई, कहा जाता है कि इसमें दोनों देशों ने विदेशों से हासिल हथियारों का इस्तेमाल किया, जिनमें मिसाइल और ड्रोन की चर्चा काफ़ी हो रही है.

इसी मुद्दे पर हमने रक्षा विशेषज्ञ सी उदय भास्कर से बात की और जानने की कोशिश की कि वो इस संघर्ष को किस तरह से देखते हैं.

image BBC सी उदय भास्कर ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष पर बातचीत की

सी उदय भास्कर मानते हैं कि इस संघर्ष में जिस तरह के हथियारों का इस्तेमाल हुआ है उसे देखते हुए इसे 'जंग' ही माना जाना चाहिए.

बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "दोनों पक्षों की जो सैनिक क्षमताएं हैं, जिनका इस्तेमाल किया गया है, ख़ास तौर पर जिसको हम सीमा पार की क्षमता कहते हैं, जिसमें मिसाइल, ड्रोन और सेटेलाइट शामिल हैं, उन्हें देखते हुए मेरी व्यक्तिगत राय में मैं इसे जंग के स्तर का ही मानूंगा. इस संघर्ष में बीवीआर यानी बियोन्ड विजुअल रेंज मिसाइल का इस्तेमाल हुआ है."

उन्होंने बताया कि बियोन्ड विजुअल रेंज का मतलब है कि ऐसे मिसाइल जो दिखाई न दें.

वो इस तरह के मिसाइल के बारे में समझाते हैं, "आपने एक टारगेट तय कर लिया. उदाहरण के लिए आप लाइन ऑफ़ कंट्रोल से क़रीब 100 किलोमीटर की दूरी पर हैं और आप मिसाइल को इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आप 200 किलोमीटर की रेंज के मिसाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसे मिसाइल को आप छोड़ते हैं तो पाकिस्तान का हेड डिफेंस भी उसे डिटेक्ट नहीं कर पाएगा. इसलिए इसे बियोन्ड विजुअल रेंज या बीवीआर कहते हैं."

image ANI ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण (सांकेतिक फ़ोटो)

पाकिस्तान की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उसने भारत के एयरक्राफ़्ट को भी मार गिराया है, जिसमें रफ़ाल लड़ाकू विमान भी शामिल है. इसमें कितनी सच्चाई हो सकती है?

सी उदय भास्कर कहते हैं, "अभी तक दोनों पक्षों ने पूरे डिटेल्स शेयर नहीं किए हैं लेकिन एक विशेषज्ञ के दृष्टिकोण से हम शायद इस निष्कर्ष पर जरूर पहुंच सकते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच जिस स्तर का संघर्ष हुआ है, उसमें किसी न किसी तरह का नुक़सान जरूर हुआ होगा."

पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान का संघर्ष जब चरम पर था तब चीनी डिफ़ेंस कंपनियों के शेयर में तेज़ी देखी जा रही थी.

ख़ासकर देखने को मिला जो पाकिस्तान को हथियार और लड़ाकू विमान सप्लाई करती हैं. इनमें से एक है 'जे-10 सी' फ़ाइटर जेट बनाने वाली कंपनी एविक चेंगदू एयरक्राफ़्ट कॉर्पोरेशन. चीन में शेनज़ेन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड इस कंपनी के शेयर में 7 मई को, पिछले नौ महीने के दौरान का सबसे ज़्यादा उछाल देखा गया.

शेयर में आए उछाल के पीछे की एक वजह पाकिस्तान का वो दावा है जिसमें उसने 'भारत के रफ़ाल को गिराने के लिए जे-10सी फ़ाइटर जेट के इस्तेमाल' की बात कही थी.

यह दावा सात मई को पाकिस्तान की संसद में विदेश मंत्रीने किया था. भारत ने पाकिस्तान के दावे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही रफ़ाल के नुक़सान की बात मानी है.

सी उदय भास्कर कहते हैं, "हमने फ्रांस से जो रफ़ाल विमान लिए हैं उसके ऊपर इस वक्त कुछ सवाल उठाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि भारत ने कुछ रफाल खोए हैं. भारत ने आधिकारिक तौर पर इसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है और मैं कहूंगा कि टिप्पणी करने की ज़रूरत भी नहीं है."

image BBC

वो आगे कहते हैं, "मेरी व्यक्तिगत राय है कि दोनों तरफ कुछ नुक़सान हुआ होगा. भारत का दावा है कि उसने कई एयर बेस को नुक़सान पहुंचाया है. पाकिस्तान ने भी अपना दावा किया है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कहां ज्यादा नुक़सान हुआ है."

क्या यह संघर्ष मिसाइल की क्षमता या दोनों देशों के एयर डिफ़ेंस सिस्टम को समझने के टेस्ट के तौर पर देखा जा सकता है?

सी उदय भास्कर कहते हैं, "साल 2019 में जो बालाकोट में हुआ और अभी जो ऑपरेशन सिंदूर हुआ है दोनों में काफ़ी अंतर है. अब टेक्नोलॉजी काफ़ी आगे बढ़ गई है. जैसे ड्रोन वॉर को ले लीजिए, जो यूक्रेन वॉर में देखा गया है, मध्य-पूर्व में देखा गया है."

"आप देख सकते हैं कि पहलगाम के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' में तकनीक के आगे बढ़ने के कई सारे लक्षण हैं. भारत और पाकिस्तान भी परंपरागत तरीक़ों से एक या दो पायदान ऊपर आ गए हैं. सवाल यह उठता कि ऊपर तक आप ख़ुद चढ़ सकते हैं या आपको किसी अन्य देश का समर्थन चाहिए."

भारत और पाकिस्तान का रक्षा ख़र्च image BBC

भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश अपने रक्षा बजट पर बड़ी रकम ख़र्च करते हैं.

के मुताबिक़, 2025 सैन्य स्ट्रेंथ रैंकिंग में भारत और पाकिस्तान के बीच आठ पायदान का अंतर है.

साल 2025 में वैश्विक सैन्य ताक़त के मामले में 145 देशों में भारत की रैंकिंग चौथी जबकि पाकिस्तान की रैंकिंग 12वीं है.

भारतीय सेना के पास क़रीब 22 लाख आर्मी जवान, 4,201 टैंक, क़रीब डेढ़ लाख बख़्तरबंद वाहन, 100 सेल्फ़ प्रोपेल्ड आर्टिलरी और 3,975 खींच कर ले जाने वाली आर्टिलरी है.

इसके अलावा मल्टी बैरल रॉकेट आर्टिलरी की संख्या 264 है. भारतीय एयरफ़ोर्स के पास 3 लाख 10 हज़ार वायु सैनिक और कुल 2,229 विमान हैं जिनमें 513 लड़ाकू विमान और 270 ट्रांसपोर्ट विमान हैं.

कुल विमानों में 130 हमला करने वाले, 351 ट्रेनर और छह टैंकर फ़्लीट के विमान हैं.

हालिया संघर्ष में दोनों देशों को किस बाहरी देश से मदद मिली है?

सी उदय भास्कर कहते हैं, "भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार वॉर हुए हैं. इनमें सबसे बड़ी जंग थी साल 1971 में बांग्लादेश के लिए हुई जंग. उस वक़्त सोवियत संघ जो कि अब रूस है, उसने भारत की मदद की थी और अमेरिका ने पाकिस्तान की. उस समय दो ताक़तवर देश थे. इसका क्या नतीजा हुआ सब जानते हैं."

उनका कहना है, "ऑपरेशन सिंदूर में जो बदलाव आया है, वो ये कि मीडियम पावर वाले देशों के भी इक्विपमेंट को इस्तेमाल किया गया है. जैसे तुर्की ने पाकिस्तान को काफी ड्रोन्स सप्लाई किए हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि वह इतना सफल नहीं रहा है."

विदेशी तकनीक और हथियार image BBC

पिछले महीने जम्मू-कश्मीर में एक हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में हवाई हमले किए थे.

इसके बाद कई दिनों तक हवाई झड़पें, तोपों से गोलाबारी हुई और दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे के हवाई ठिकानों पर मिसाइल हमलों के आरोप लगाए गए.

दोनों देशों के बीच बयानबाज़ी बहुत बढ़ गई और दोनों ने एक दूसरे के हमलों को नाकाम करते हुए भारी क्षति पहुंचाने का दावा किया.

सी उदय भास्कर कहते हैं, "कहा जा रहा है कि चीन ने पाकिस्तान को काफ़ी समर्थन दिया और पाकिस्तान ने चीन से मिले प्लेटफार्म्स का इस्तेमाल किया है. अभी हम विश्वास के साथ नहीं कह सकते हैं कि पाकिस्तान को मिली ये चीनी मदद कितनी कारगर रही."

वो आगे कहते हैं, "मेरी यह व्यक्तिगत राय है कि भारत की अपनी सैन्य ताक़त काफ़ी मजबूत थी. साथ ही हमने फॉरेन इक्विपमेंट का भी इस्तेमाल किया. उदाहरण के लिए एस-400 जो भारत को रूस से मिला है. अभी तक कि जानकारी के आधार पर मैं कहूंगा कि एस- 400 काफ़ी सफल रहा."

ट्रंप के बारे में राय image Getty Images अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार कहा है कि वो युद्ध के पक्ष में नहीं हैं

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष ख़त्म कराने में उन्होंने काफ़ी मदद की है. युद्ध को लेकर ट्रंप की स्पष्ट राय है कि वो इसके ख़िलाफ़ हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में दोनों देशों के बीच सीज़फ़ायर के बारे जानकारी दी थी और में कहा, "अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए ख़ुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीज़फ़ायर पर सहमति जताई है."

इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस कोशिश में लगे रहे कि रूस और यूक्रेन के बीच का युद्ध भी जल्दी से ख़त्म हो.

सी उदय भास्कर कहते हैं, "अमेरिका इस वक्त दुनिया का सबसे ताक़तवर देश है. ट्रंप के बारे में आप जो भी कहें, उनके पहले कार्यकाल और अब दूसरे कार्यकाल में भी उन्होंने बार-बार यही कहा है कि वो शांति चाहते हैं."

image BBC

उनका कहना है, "उनके प्रयास करने का जो तरीक़ा है वह अजीब हो सकता है. लेकिन अच्छी बात है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जंग के पीछे नहीं भाग रहे हैं बल्कि उसे रोकने के प्रयास में है."

मौजूदा दौर में पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल मुनीर के सामने किस तरह की चुनौतियां हैं?

सी उदय भास्कर कहते हैं, "पाकिस्तान की सेना बैकफ़ुट पर है. इमरान ख़ान ने स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तानी सेना का व्यवहार पाकिस्तान और पाकिस्तान के लोगों के हित में नहीं है. यह पाकिस्तान में हुआ एक बहुत बड़ा बदलाव है."

भारत की फ़ौज के बारे में कहा जाता है कि वह हमेशा से बहुत अनुशासित सेना रही है, क्योंकि भारत में संसदीय लोकतंत्र रहा है. भारत के राजनीतिक संस्थान काफ़ी मज़बूत रहे हैं. लेकिन कई बार कहा जाता है कि फ़ौज पर राजनीतिक असर दिखने लगा है.

सी उदय भास्कर कहते हैं, "भारत की सेना हमेशा से बहुत ही पेशेवर और ग़ैर राजनीतिक रही है, इसमें कोई शक नहीं है. पर ये भी सही है और मुझे ईमानदारी से कहना चाहिए कि कुछ संकेत हमें मिल रहे हैं, जिससे लगता है कि इस वक़्त फ़ौज पर देश के ओवरऑल पॉलिटिकल कल्चर का असर पड़ रहा है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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