अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान के हादसे की जाँच की शुरुआती रिपोर्ट आने के बाद ऐसी उम्मीद थी कि इस मामले को कुछ विराम मिलेगा.
लेकिन हुआ इसके उलट. 15 पन्ने की शुरुआती रिपोर्टने अटकलों को और हवा दे दी. रिपोर्ट की भाषा भले ही संयमित हो. लेकिन इस शुरुआती जाँच रिपोर्ट की एक बात ऐसी थी, जिसने जाँचकर्ताओं, विमान विशेषज्ञों और आम जनता को भी परेशान कर रखा है.
इस रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि उड़ान भरने के कुछ ही सेकेंड बाद 12 साल पुराने इस बोइंग 787 विमान के दोनों फ़्यूल कंट्रोल स्विच अचानक 'कट ऑफ़' पोजिशन में चले गए थे. इस कारण विमान के इंजनों तक ईंधन की सप्लाई रुक गई.
सप्लाई रुकने के कारण विमान पूरी तरह पावर खो बैठा. आम तौर पर फ़्यूल कंट्रोल स्विच विमान की लैंडिंग के बाद ही बंद किए जाते हैं.
कॉकपिट की वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से पूछते हैं कि उन्होंने "कट-ऑफ़ क्यों किया", तो दूसरे पायलट कहते हैं कि उन्होंने ऐसा नहीं किया. लेकिन रिकॉर्डिंग से यह साफ़ नहीं होता कि किस पायलट ने क्या कहा. टेक-ऑफ़ के समय को-पायलट विमान उड़ा रहे थे और कैप्टन निगरानी कर रहे थे.
बाद में फ़्यूल कंट्रोल स्विच को दोबारा उड़ान भरने की सामान्य स्थिति में लाया गया. जैसे ही स्विच 'रन मोड' में आया, इंजन में ईंधन की सप्लाई शुरू हो गई. जिस समय दुर्घटना हुई, एक इंजन दोबारा पावर लेने लगा था, लेकिन दूसरा इंजन पूरी तरह पावर नहीं ले पाया.

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ये विमान उड़ान भरने के एक मिनट से भी कम समय तक हवा में रहा. इस विमान दुर्घटना में कुल 260 लोगों की मौत हुई थी.
हादसे की शुरुआती रिपोर्ट आने के बाद कई तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गईं. पूरी रिपोर्ट एक साल में आने की संभावना है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल और समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ विमान हादसे की शुरुआती जाँच में नए तथ्यों के सामने आने के बाद अब फ़ोकस कॉकपिट में मौजूद सीनियर पायलट की ओर जा रहा है.
इटली के अख़बार कोरिएर डेला सेरा का दावा है कि उसके सूत्रों ने बताया है कि फ़र्स्ट ऑफ़िसर ने कैप्टन से बार-बार पूछा कि उन्होंने "इंजन क्यों बंद कर दिए."
56 वर्षीय सुमित सभरवाल इस फ़्लाइट के कैप्टन थे, जबकि 32 वर्षीय क्लाइव कुंदर को-पायलट थे, जो विमान उड़ा रहे थे. दोनों पायलटों के पास कुल मिलाकर 19,000 घंटे से ज़्यादा विमान उड़ाने का अनुभव था. इनमें से लगभग आधा अनुभव बोइंग 787 विमान उड़ाने का था.
इस विमान दुर्घटना से पहले दोनों पायलटों ने विमान उड़ाने से पहले के सभी हेल्थ चेक पास किए थे.
स्वाभाविक है कि इन तरह की अटकलों और लीक हो रही जानकारियों ने जाँचकर्ताओं को परेशान किया है और भारतीय पायलटों में नाराज़गी है.
एएआईबी और एएलपीए इंडिया ने क्या कहा?पिछले सप्ताह भारत के एयरक्राफ़्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो यानी एएआईबी ने एक बयान में कहा था कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का एक वर्ग चुनिंदा और अपुष्ट रिपोर्टिंग के ज़रिए नतीजा निकालने की कोशिश कर रहा है. ब्यूरो ने बिना पूरी जाँच के इस तरह की रिपोर्टिंग को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना कहा है.
अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ़्टी बोर्ड (एनटीएसबी) की चेयरवुमन जेनिफ़र होमेंडी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि इस मामले पर आ रही मीडिया रिपोर्ट्स जल्दबाज़ी में की गई हैं और ये अटकलों पर आधारित हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे स्तर की जाँच में समय लगता है. एटीएसबी इस हादसे की जाँच में सहयोग कर रही है.
भारत में इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन ने क्रू को दोष देने में की जा रही जल्दबाज़ी को ''बेहद असंवेदनशील'' और ''लापरवाही भरा'' कहा है. एसोसिएशन ने अपील की है कि जब तक पूरी रिपोर्ट नहीं आ जाती, इस मामले में संयम बरता जाना चाहिए.
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (एएलपीए इंडिया) के प्रमुख सैम थॉमस ने बीबीसी से कहा, ''अटकलबाज़ी, पारदर्शिता पर हावी हो गई है.'' उन्होंने जोर देकर कहा कि विमान के मेंटनेंस का रिकॉर्ड और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के डेटा के साथ दूसरे दस्तावेजों की भी जाँच होनी चाहिए."
विवाद का केंद्र उस रिपोर्ट में शामिल कॉकपिट रिकॉर्डिंग का छोटा सा हिस्सा है. पूरी बातचीत का ट्रांसक्रिप्ट अंतिम रिपोर्ट में आने की उम्मीद है, जिससे असल स्थिति को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा.
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?- एयर इंडिया प्लेन क्रैश की शुरुआती जांच रिपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया क्या कह रहा है?
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कनाडा के एक विमान दुर्घटना जांचकर्ता, जिन्होंने नाम न बताने की इच्छा जताई, उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में दर्ज बातचीत कई संभावनाओं की ओर इशारा करती है.
जांचकर्ता कहते हैं, उदाहरण के लिए, "अगर पायलट 'बी' ने अनचाहे या अनजाने में वो स्विच ऑपरेट किया हो, तो यह समझा जा सकता है कि बाद में उन्होंने ऐसा करने से इनकार क्यों किया.''
"लेकिन अगर पायलट 'ए' ने जानबूझकर और सोच-समझकर स्विच ऑपरेट किया हो, तो संभव है कि उन्होंने सवाल इस इरादे से पूछा हो कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की जाँच ज़रूर होगी, और इस तरह वो ध्यान भटकाकर ख़ुद को ज़िम्मेदार साबित होने से बचाना चाहते हों."
"यहाँ तक कि अगर एएआईबी यह पता भी लगा ले कि कौन क्या कह रहा था, तब भी इसका साफ़ जवाब नहीं मिलेगा कि 'फ़्यूल बंद किसने किया?'."
"हम शायद कभी यह जान ही न सकें कि इसका असली ज़िम्मेदार कौन था."
जांचकर्ताओं ने बीबीसी से कहा कि भले ही ऐसा लगता है कि ईंधन के स्विच हाथ से बंद किए गए, लेकिन अभी भी किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले हर संभावना पर खुला दिमाग रखना ज़रूरी है.
कुछ पायलटों का मानना है कि अगर विमान के फ़ुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (एफ़एडीइसी) सिस्टम को, जो इंजन की स्थिति और कामकाज पर नज़र रखता है, उसे सेंसर से गलत जानकारी मिले, तो तकनीकी तौर पर यह सिस्टम ख़ुद ही इंजन को बंद कर सकता है.
हालांकि, अगर पायलट की हैरानी भरी ये प्रतिक्रिया, "तुमने ईंधन क्यों बंद किया?" उस वक्त आई जब फ़्यूल स्विच पहले ही कट-ऑफ़ मोड में जा चुके थे (जैसा कि शुरुआती रिपोर्ट में दर्ज है), तो यह थ्योरी कमजोर पड़ जाती है. उम्मीद है कि अंतिम रिपोर्ट में बातचीत का टाइम-स्टैम्प के साथ पूरा ब्योरा और इंजन डेटा का गहराई से विश्लेषण होगा, जिससे हालात को ज़्यादा साफ़ तौर पर समझा जा सकेगा.
ज़्यादा अटकलबाज़ी इस बात पर नहीं हो रही कि किसने क्या कहा, बल्कि इस बात पर हो रही है कि क्या नहीं कहा गया.
शुरुआती रिपोर्ट में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) की पूरी बातचीत साझा नहीं की गई, बल्कि आख़िरी पलों की सिर्फ़ एक अहम लाइन ही उजागर की गई.
इस तरह से बातचीत का सिर्फ़ एक हिस्सा सामने लाना कई सवाल खड़े करता है, क्या जांच टीम को ये पता था कि आवाज़ें किसकी थीं, लेकिन संवेदनशीलता की वजह से पूरी बातचीत को सार्वजनिक नहीं किया? या फिर टीम अभी इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है कि आवाजें किसकी थीं, और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उन्हें और जांच की ज़रूरत है?
अमेरिकी एजेंसी (एनटीएसबी) के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर पीटर गोएल्ज़ का कहना है कि एएआईबी को पायलटों की पहचान के साथ पूरी वॉयस रिकॉर्डर ट्रांसक्रिप्ट सार्वजनिक करनी चाहिए.
वो कहते हैं, "अगर टेक-ऑफ के दौरान कोई ख़राबी शुरू हुई थी, तो वो फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफ़डीआर) में दर्ज होती और ऐसा हो सकता है कि फ़्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम में अलर्ट भी ट्रिगर करती, ऐसे अलर्ट जिन्हें क्रू ज़रूर नोटिस करता और सबसे अहम बात ये कि उन पर बातचीत करता."
जांचकर्ता लोगों से अपील कर रहे हैं कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में जल्दबाज़ी न करें.
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के विमान दुर्घटना विशेषज्ञ और पूर्व जांचकर्ता शॉन प्रुचनिकी बीबीसी से कहते हैं, "हमें सतर्क रहना होगा, क्योंकि अगर स्विच बंद मिले हैं, तो यह मान लेना आसान है कि यह जानबूझकर किया गया होगा जैसे पायलट की गलती, आत्महत्या या कोई और वजह. लेकिन हमारे पास सीमित जानकारी है और ऐसे में इस दिशा में सोचना ख़तरनाक हो सकता है."
''ठोस नतीजे पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी''
वहीं दूसरी तरफ़, दूसरी संभावनाओं पर भी चर्चा जारी है.
भारतीय अख़बारों में इंडियन एक्सप्रेस समेत कुछ ने विमान के पिछले हिस्से में संभावित इलेक्ट्रिकल फ़ायर को जांच का अहम पहलू बताया है. हालांकि, शुरुआती रिपोर्ट यह साफ़ करती है कि इंजन इसलिए बंद हुए क्योंकि दोनों फ़्यूल स्विच 'कट-ऑफ़' पोजिशन में ले जाए गए थे और यह बात रिकॉर्डर डेटा से साबित होती है.
एक स्वतंत्र जांचकर्ता ने कहा कि अगर पिछली तरफ आग लगी भी थी, तो वह शायद टक्कर के बाद हुई होगी, और इसका कारण फैला हुआ फ़्यूल या बैटरियों को हुआ नुकसान हो सकता है.
पिछले हफ़्ते एएआईबी चीफ़ जीवीजी युगंधर ने ज़ोर देकर कहा कि शुरुआती रिपोर्ट का मक़सद सिर्फ़ यह बताना है कि "क्या हुआ".
उन्होंने कहा, "अभी किसी ठोस नतीजे पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी." उन्होंने यह भी साफ़ किया कि जांच जारी है और अंतिम रिपोर्ट में "मूल कारणों और सुझावों" को साफ़ किया जाएगा. साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि "तकनीकी या जनहित से जुड़े" मुद्दों पर जैसे-जैसे जानकारी सामने आएगी, उसे साझा किया जाएगा.
जांच का सार बताते हुए, शॉन प्रुचनिकी ने कहा कि यह पूरी पड़ताल दो संभावनाओं पर केंद्रित है या तो यह जानबूझकर की गई कोई कार्रवाई थी, भ्रम की स्थिति थी या ऑटोमेशन से जुड़ी कोई समस्या.
उन्होंने यह भी कहा, "रिपोर्ट जल्दबाज़ी में किसी इंसानी ग़लती या इरादे को दोष नहीं देती, ऐसा कोई सबूत नहीं है जो साबित करे कि यह जानबूझकर किया गया था."
यानी साफ़ शब्दों में कहें तो कोई निर्णायक सबूत नहीं. सिर्फ़ एक बेचैन कर देने वाला इंतज़ार, जिसके आख़िर में शायद सारे जवाब भी न मिलें.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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