राजस्थान में छात्र संघ चुनाव को लेकर विवाद और विरोध तेज हो गया है। सोमवार को राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्र नेता शुभम रेवाड़ अपने समर्थकों के साथ आमरण अनशन पर बैठ गए। उनका कहना है कि जब तक छात्र संघ चुनाव की तिथि घोषित नहीं की जाती और चुनाव नहीं होते, तब तक यह अनशन जारी रहेगा।
चुनावी शुल्क वसूली पर सवालशुभम रेवाड़ ने आरोप लगाया कि राजस्थान यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस वर्ष एडमिशन फीस के साथ ही छात्रों से चुनावी शुल्क भी वसूला था। उन्होंने कहा, “जब यूनिवर्सिटी ने हमसे चुनावी शुल्क लिया है, तो चुनाव करवाना उनकी जिम्मेदारी है। लेकिन महीनों से छात्रों की मांग के बावजूद प्रशासन मौन है, जो छात्रों के अधिकारों का हनन है।”
लंबे समय से चल रहा आंदोलनछात्र नेता के अनुसार, यूनिवर्सिटी में चुनाव न होने के खिलाफ छात्र लगातार आंदोलनरत हैं। पहले कई बार धरना-प्रदर्शन और रैलियां निकाली गईं, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। छात्रों का कहना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी है, ताकि विश्वविद्यालय में छात्रों की आवाज़ सुनी जा सके।
प्रशासन पर लापरवाही का आरोपअनशनकारी छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन उनकी “वाजिब मांग” को नजरअंदाज कर रहा है। उनका कहना है कि चुनाव न कराकर प्रशासन छात्र राजनीति को दबाने की कोशिश कर रहा है। शुभम रेवाड़ ने चेतावनी दी कि यदि जल्द चुनाव की घोषणा नहीं की गई, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा और इसका असर पूरे राज्य के छात्र संगठनों पर पड़ेगा।
परिसर में बढ़ी हलचलआमरण अनशन की घोषणा के बाद सोमवार को यूनिवर्सिटी परिसर में छात्रों की भीड़ जुट गई। समर्थकों ने नारेबाजी करते हुए प्रशासन के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। वहीं, माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया गया है।
सरकार और प्रशासन के लिए चुनौतीराजस्थान में छात्र संघ चुनाव हमेशा से राजनीतिक दृष्टि से अहम माने जाते हैं। यहां चुने गए छात्र नेता आगे चलकर प्रदेश की मुख्यधारा की राजनीति में भी सक्रिय रहते हैं। ऐसे में चुनाव न होना और इस पर विरोध तेज होना, राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति बनाता है।
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