टाउन से नवां तक प्रस्तावित 110 करोड़ रुपये के बाइपास को लेकर लोगों में सवाल और विरोध की आवाजें उठने लगी हैं। यह बाइपास परियोजना शुरू होने से पहले ही विवाद का कारण बन गई है।
बाइपास का उद्देश्य और विवादसरकारी दावों के अनुसार यह बाइपास ट्रैफिक की भीड़ को कम करने और शहरवासियों को राहत देने के उद्देश्य से प्रस्तावित किया गया है। हालांकि, परियोजना के रूट को लेकर समस्याएं सामने आई हैं। शुरुआत में यह अपेक्षित था कि बाइपास शहर से बाहर निकलेगा, जिससे न केवल यातायात सुगम होगा बल्कि आबादी क्षेत्र पर असर नहीं पड़ेगा।
लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) ने परियोजना के रूट को आबादी क्षेत्र के भीतर से गुजरने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इससे स्थानीय लोग चिंतित और नाराज हैं। उनका कहना है कि बाइपास के इस रूट से घरों और दुकानों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और आवाज, धूल और प्रदूषण जैसी समस्याएं बढ़ेंगी।
विरोध के स्वरस्थानीय लोगों ने कहा कि यदि बाइपास आबादी क्षेत्र से गुजरता है, तो यह परियोजना उनके लिए सिरदर्द बन सकती है। व्यापारियों, मकान मालिकों और आम नागरिकों ने प्रशासन से अपील की है कि बाइपास का मार्ग शहर के बाहर रखा जाए।
कुछ ग्रामीण और नागरिक संगठन भी इस परियोजना के सार्वजनिक हित और पर्यावरणीय प्रभाव पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बिना उचित सर्वे और लोगों की राय लिए बाइपास निर्माण शुरू करना अनुचित होगा।
प्रस्तावित निर्माणबाइपास का निर्माण कोहला से नवां तक किया जाना है। अनुमानित लागत 110 करोड़ रुपये है। अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना से शहर का ट्रैफिक भार कम होगा और शहरवासियों के लिए लंबी दूरी तय करना आसान होगा। लेकिन रूट को लेकर विवाद और विरोध के चलते कार्य शुरू होने में देरी हो सकती है।
प्रशासन की प्रतिक्रियासार्वजनिक निर्माण विभाग ने कहा है कि परियोजना शहरवासियों और पर्यावरण दोनों को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। विभाग ने यह भी कहा कि लोगों की राय को ध्यान में रखते हुए अंतिम मार्ग तय किया जाएगा।
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