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'गुजरात से वायरस लेकर आए और वागड़ में फैलाया...' BJP विधायक के विवादित बयान ने राजस्थान की राजनीति में मचाई खलबली

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भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने एक बार फिर भारत आदिवासी पार्टी पर निशाना साधा है। बीएपी को वायरस बताते हुए रावत ने वैक्सीनेशन की बात कही। दो दिन बाद 4 जून को उनके कार्यकाल का एक साल पूरा हो जाएगा। इससे पहले एनडीटीवी से खास बातचीत में उन्होंने एक साल के कामकाज का ब्योरा दिया। साथ ही आगामी कार्ययोजना पर बात करते हुए उन्होंने 'विकसित भारत 2047' के साथ 'विकसित मेवाड़-2047' की अवधारणा पर अपने विचार रखे। उन्होंने बीएपी को लुटेरी गैंग बताते हुए कहा कि जब से वह लोकसभा सीट जीती है, तब से पार्टी ने कानून तोड़ने का काम किया है। साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अशोक गहलोत के कार्यकाल में बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत की बड़ी भूमिका रही। उन्हें बड़ा फंड भी मिला।

भाजपा सांसद ने कहा कि लड़ाई वैचारिक स्तर पर है
जब उनसे पूछा गया कि उनका फोकस उदयपुर से ज्यादा बांसवाड़ा और वागड़ क्षेत्र पर है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी कर्मभूमि उदयपुर है। उन्होंने बिना नाम लिए बीएपी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वैचारिक स्तर पर देखें तो कोई वायरस बाहर से आता है, जिसका समय पर टीकाकरण होना जरूरी है। वे गुजरात से वायरस लेकर आए और यहां वागड़ में फैला दिया। 

रावत ने कहा- हमलों से बचाना हमारा मौलिक अधिकार
रावत ने कहा कि यह वायरस है, "युवाओं को स्कूलों में नहीं पढ़ना चाहिए, उन्हें पत्थरबाज बनना चाहिए। जब महिला शिक्षिकाएं स्कूल जाती हैं, तो कुछ लोग अभद्रता के साथ आते हैं, आदिवासी उन पर हमला करते हैं कि वे हिंदू नहीं हैं। ऐसे हमलों से बचाना हमारा मौलिक अधिकार है। इस अवसर पर उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष किया और क्षेत्र में पार्टी की स्थिति के बारे में भी बात की।

कांग्रेस का सफाया हो चुका है- रावत
हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने डूंगरपुर विधायक गणेश घोगरा को भी बड़ी जिम्मेदारी दी है। उन्होंने घोगरा के पार्टी के आदिवासी प्रकोष्ठ का प्रदेशाध्यक्ष बनने पर उन पर कटाक्ष किया। रावत ने कहा कि कांग्रेस को किसी को जिम्मेदारी देनी ही थी। क्योंकि अन्य जगहों पर कांग्रेस का सफाया हो चुका है, ऐसे में उन्होंने घोगरा को जिम्मेदारी दी। भाजपा सांसद ने कहा, "दयाराम परमार को जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती थी। महेंद्रजीत सिंह मालवीय अब चर्चा का विषय नहीं रहे, अर्जुन बामणिया बूढ़े हो गए हैं और रामलाल मीना हार गए हैं। ऐसी स्थिति में पार्टी के पास कौन था?

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