पाकिस्तान सीमा से सटे मुनाबाव बॉर्डर तक पहुंचने का रास्ता पहले से कहीं ज्यादा आसान, तेज और सुरक्षित हो गया है। सामरिक और पर्यटन दोनों ही दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस मार्ग पर अब चौड़ी फोर लेन सड़क बन गई है। गगरिया से मुनाबाव तक 56 किलोमीटर का दूसरा चरण पूरा होने से बाड़मेर-मुनाबाओ मार्ग अब 10 मीटर चौड़ा हो गया है, जिससे वाहन तेजी से दौड़ने लगे हैं। यह सड़क न सिर्फ सीमावर्ती गांवों को देश की मुख्य धारा से जोड़ रही है, बल्कि सैन्य बल भी सीमा तक तेजी से पहुंच सकेंगे।
इस राजमार्ग के जरिए बाड़मेर का अब दिल्ली, गुजरात, पंजाब और राजस्थान के अन्य प्रमुख शहरों से सीधा संपर्क हो गया है। सड़क के दोनों ओर बनी सुरक्षा पट्टियों और मजबूत निर्माण तकनीक के कारण यह मार्ग अब हर मौसम में यात्रा के लिए उपयुक्त हो गया है। मुनाबाव बॉर्डर की यह सड़क भारत माला परियोजना के तहत बनाई जा रही है और इससे सीमावर्ती पर्यटन को भी नई दिशा मिलनी शुरू हो गई है। खास बात यह है कि सीमावर्ती गांवों को अब व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। अब गुजरात और पंजाब से सीधा संपर्क होगा
गागरिया से मुनाबाव तक 56 किलोमीटर लंबे खंड के निर्माण के बाद बाड़मेर शहर से मुनाबाव सीमा तक यात्रा का समय लगभग आधा रह गया है। इससे लोंगेवाला, तनोट माता मंदिर और मुनाबाव सीमा जैसे महत्वपूर्ण स्थानों तक सीधा संपर्क हो गया है। सांचौर-गांधव-गागरिया-मुनाबाओ-तनोट माता मार्ग अब देश की प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग श्रृंखला का हिस्सा बन गया है। स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और व्यापार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं भी पहले से अधिक सुलभ होंगी।
125 किलोमीटर लंबा बाड़मेर-मुनाबाओ राजमार्ग
इस राजमार्ग का पहला चरण 69 किलोमीटर (बाड़मेर से गगरिया) पहले ही बन चुका था। अब दूसरे चरण में गगरिया से मुनाबाव तक 56 किलोमीटर खंड के पूरा होने के साथ ही कुल 125 किलोमीटर लंबा यह मार्ग अब पूरी तरह चालू हो गया है। इस सड़क से जहां सैन्य रणनीति मजबूत होगी, वहीं पर्यटन की दृष्टि से केराडू मंदिर, गडरा रोड का अमर शहीद स्मारक, रोहिड़ी का मखमली धोरा जैसे स्थान अब पर्यटकों के लिए आसानी से सुलभ हो जाएंगे। इससे निश्चित रूप से सीमा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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