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'गिरगिट' से भी ज्यादा रंग बदलती है कांग्रेस : सीपी सिंह

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रांची, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। भाजपा नेता सीपी सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस तो गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलती है। इनके रंग बदलने से तो गिरगिट भी शरमा जाएगा।

दरअसल, कांग्रेस के नेता भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के उस बयान पर टारगेट कर रहे हैं, जिसमें भाजपा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट को खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है तो संसद और राज्य विधानसभाएं बंद कर देनी चाहिए। 19 अप्रैल को दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, "कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।"

निशिकांत दुबे के बयान पर भाजपा नेता सीपी सिंह ने कहा कि उनके बयान से भारतीय जनता पार्टी का कुछ भी लेना देना नहीं है। यह उनका व्यक्तिगत बयान है। लेकिन, कांग्रेस किस मुंह से ऐसी बातें कर रही हैं। इनके बड़े-बड़े नेता, मणिशंकर अय्यर और दिग्विजय सिंह जैसे नेता क्या-क्या बयान देते हैं। आज तक तो कांग्रेस ने उन्हें निकाला नहीं है। कांग्रेस का दोहरा चरित्र यह है कि इनके लोग गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलते हैं। गिरगिट भी कांग्रेस के सामने शरमा जाए। कांग्रेस रंग बदलने में माहिर है।

बता दें कि झारखंड कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने सांसद के बयान को पूरी तरह संविधान विरोधी बताते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की। प्रदीप यादव ने कहा कि निशिकांत दुबे की टिप्पणी लोकतंत्र के मूल स्तंभ पर सीधा हमला है। उन्होंने न केवल न्यायपालिका का अपमान किया है, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं को डराने-धमकाने की कोशिश की है।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भले उनके इस बयान से औपचारिक रूप से किनारा कर लिया है, लेकिन वस्तुतः यह भाजपा नेतृत्व के इशारे पर दिया गया बयान है। अगर ऐसा नहीं है तो भाजपा अपने बड़बोले सांसद की सांसदी तत्काल खत्म करे। प्रधानमंत्री और भाजपा नेता देश से माफी मांगें, तभी माना जा सकता है कि भाजपा निशिकांत दुबे के बयान से सहमत नहीं है।

--आईएएनएस

डीकेएम/सीबीटी

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